जिस जिससे पथ पर स्नेह मिला
उस उस राही को धन्यवाद।जीवन अस्थिर अनजाने ही
हो जाता पथ पर मेल कहीं,
सीमित पग-डग, लम्बी मंज़िल
तय कर लेना कुछ...
(पापा के लिए)एक पेड़
मेरी क्षमता में जिसका केवल ज़िक्र करना भर है
जिसे उपमेय और उपमान में बाँधने की
न मेरी इच्छा है, न ही सामर्थ्यएक...