Tag: Ishrat Afreen
मेरे पुरखों की पहली दुआ
रात की कोख से
सुब्ह की एक नन्ही किरन ने जनम यूँ लिया
शब ने नन्ही शफ़क़ की गुलाबी हसीं मुट्ठियाँ खोलकर
कुछ लकीरें पढ़ीं
और सबा से...
रिहाई
असीर लोगो
उठो और उठकर पहाड़ काटो
पहाड़ मुर्दा रिवायतों के
पहाड़ अंधी अक़ीदतों के
पहाड़ ज़ालिम अदावतों केहमारे जिस्मों के क़ैदख़ानों में
सैकड़ों बेक़रार जिस्म
और उदास रूहें सिसक...
मेनोपॉज़
अजीब-सी इत्तिला थी वो
जिसे मैं ख़ुद से न जाने कब से छुपा रही थी
अजब ख़बर थी कि जिसकी बाबत
मैं ख़ुद से सच बोलते हुए...
अगले जनम मोहे बिटिया ही कीजो
मेरी बिटिया
तुझे भी मैंने जन्मा था उसी दुःख से
कि जिस दुःख से तेरे भाई को जन्मा
तुझे भी मैंने अपने तन से वाबस्ता रखा
उतनी ही मुद्दत...