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चकले (जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं)
ये कूचे, ये नीलाम घर दिलकशी के
ये लुटते हुए कारवाँ ज़िन्दगी के
कहाँ हैं, कहाँ हैं मुहाफ़िज़ ख़ुदी के
सना-ख़्वान-ए-तक़्दीस-ए-मशरिक़ कहाँ हैं
ये पुर-पेच गलियाँ, ये बे-ख़्वाब बाज़ार
ये...
काली सलवार
सआदत हसन मंटो की कहानी 'काली सलवार' | 'Kali Salwar', a story by Saadat Hasan Manto
दिल्ली आने से पहले वो अम्बाला छावनी में थी...
इन्तज़ार और
'Intezaar Aur', a poem by Janakraj Pareek
सुमेश बाबू
देर तक
उसकी लुज-लुज छातियों से जूझते रहे
पर उरमला को
उसी तरह ठण्डा और ठस्स पाकर
झुँझलाए
और कमला बाई के...