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मन के पार
'Man Ke Paar', a poem by Preeti Karnश्रेष्ठतम कविता लिखना
उस वक़्त
सम्भव हुआ होगा
जब खाई को पाटने के
लिए नहीं बची रही
होगी
कच्ची मिट्टी की
ढेर।
ऊँचे टीलों की...
तीनों किसी का चित्त मोहने के लिए पर्याप्त हैं
तुम मेरे हिस्से में किसी कहानी के उदास प्रेमी के किरदार की तरह रहे
जिसका प्रेम कभी दिखा ही नहीं
दिखी तो बस कर्मठता पूरी निष्ठा...