Tag: Rasheed Jahan
मर्द और औरत
मर्द - औरत का पहला कर्तव्य बच्चों की परवरिश है!
औरत - मर्द का पहला कर्तव्य बच्चों का हकदार होना है!
मर्द - क्या मतलब?
औरत - मतलब यह कि औरत को बच्चे पालने का हुक्म लगा दिया लेकिन बच्चे होते किसकी मिलकियत हैं!
मर्द - बाप की!
औरत - तो फिर मैं उनको क्यूँ पालूँ! जिसकी मिलकियत हैं वह स्वयं पाले!
सास और बहू
'Saas Aur Bahu', Hindi Kahani by Rashid Jahan
लो आज सुबह से ही उन्होंने शोर मचाना शुरू कर दिया।
ऐ बहन क्या पूछती हो कि तुम्हारी...
अंधे की लाठी
"भाई साहब!... भाई साहब!!" आवाज हलक में फँस गयी, "भाई साहब, दुल्हनें बदल गयीं।"
"तुम्हें सही खबर है?"
"खुद दुल्हन ने मुझसे कहा। मेरी समझ में नहीं आता कि क्या होगा?"
"जो अब्बा जान कहेंगे और क्या।"
अफ़तारी
"हालाँकि उसके मजहब ने सूद लेने को बिल्कुल मना किया है लेकिन यह सूद को नफा कहकर हजम कर जाता है और अपने खुदा के हुजूर में अपनी इबादत एक रिश्वत की शक्ल में पेश करता रहता है।"
आसिफजहाँ की बहू
"छोड़ दीजिए बाजी, छोड़ दीजिए हमें..."
जब वह ड्योढ़ी की तरफ भागने लगे तो बाजी उनके पीछे जोर से चिल्लाई, "ऐ कैसे दूल्हा हो। जरा अन्दर चलकर तो देखो कैसी चाँद-सी दुल्हन है।"
छिद्दा की माँ
"वा ने एक सुरमा भी दियो कि छिद्दा में बिना बतलाए लगाये दाजियो।"
"फिर छिद्दा को डायन असली रूप में दिखने लगी थी?"
"वह सुरमा गलती से डायन ने लगाय लियो और छिद्दा और दीवाना होंय गयो, लगो उल्टा मोको मारने।"
फ़ैसला
"देखिए, मैं तो हिन्दू-मुसलमान फसाद को एक बीमारी ख्याल करती हूँ। जिस तरह मेरी बच्ची रजिया को अभी दो महीने पहले मलेरिया हो गया था, मैं तो समझती हूँ उसी तरह हिन्दुस्तानी समाज में हिन्दू-मुसलमान फसाद भी एक बीमारी है। और जिस तरह कि मलेरिया की दवा मालूम हो गयी, आखिर उसका भी कोई इलाज होगा।"
पर्दे के पीछे
"अल्लाह गवाह है जिस रोज यह इधर-उधर चले जाते हैं तो मैं चैन की नींद सोती हूँ। रोज यही है कि तुम रोज-रोज की बीमार हो, मैं कब तक सबर करूँ? मैं दूसरा ब्याह करता हूँ।
मैंने तो कहा, बिस्मिल्लाह करो। अब साल भर बाद साबरा की विदाई है। बाबा-बेटियों का साथ-साथ हो जाय। एक गोद में नवासा खिलाना, दूसरी में नई बीवी का बच्चा। बस लड़ने लगते हैं कि औरतें क्या जानें, खुदा ने उनको एहसास ही नहीं दिया। मैं तो कहती हूँ कि तुममें सारे मर्दों का एहसास भरा है।"
चोर
मैं पहली बार एक चोर से और वह भी ऐसा चोर जो मेरा अपना घर साफ कर चुका था, मिली थी।
मैंने कहा, "कम्मन, तुम चोरी करते हो। तुमको तरस नहीं आता। मेरा घर तो तुमने बिलकुल साफ कर दिया। पहनने तक का कपड़ा नहीं रहा। ऐनकों का तुमको क्या मिल जाता होगा। भला बताओ मेरी ऐनक भी तुम ले गये।"
दिल्ली की सैर
"अच्छा बहन, हमें भी तो आने दो" यह आवाज दालान में से आयी, और साथ ही एक लड़की कुर्ते के दामन से हाथ पोंछती...