Tag: Regrets

Mahendra Kumar Waqif

महेंद्र कुमार वाक़िफ़ की कविताएँ

मेरी निजता की परिधि में तुम अमावस का चाँद छुपता है गहरे सागर में नींद अंगड़ाइयों में छुप जाती है प्रेम लड़ता है तमाम प्रतिबन्धों से और हारकर छुप...
Room, Door, Window

प्रक्रिया

'Prakriya', Hindi poem by Pranjal Rai ठोकर खाकर गिरा एक बच्चा, किन्तु धूल झाड़ते हुए जो उठा वह एक समझदार आदमी था। इस बार वह और ज़्यादा ताक़त...
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