Tag: Snehmayi Chaudhary
सोलेस इन मे
कौन आएगा मई में सांत्वना देने
कोई नहीं आएगा
समय ने मृत्यु का स्वांग रचा है
अगर कोई न आए तो
बारिश तुम आना
आँसुओं की तरह
दो-चार बूँदों की...
एक इन्टरव्यू
मैंने बच्चे को नहलाती
खाना पकाती
कपड़े धोती
औरत से पूछा—
'सुना तुमने पैंतीस साल हो गए
देश को आज़ाद हुए?'
उसने कहा 'अच्छा'...
फिर 'पैंतीस साल' दोहराकर
आँगन बुहारने लगी
दफ़्तर जाती...
जलती हुई औरत का वक्तव्य
मुझे बचाओ, मुझे बचाओ—
कहती हुई मैं
आग की दिशा में बढ़ी चली जा रही हूँ
लपटों की तेज़ गर्मी
और जलन अनुभव कर रही हूँ
परन्तु झुलसती हुई...
पूरा ग़लत पाठ
उत्तराधिकार के नाम पर मिलीं
कुछ चिट्ठियाँ जिनका जवाब देना है,
कुछ उधार जो चुकता करना है,
टूटे लोहे के बक्से, घिसे बरतन, कुछ गूदड़
जिन्हें देख-देखकर अपने...