Tag: Socialism
मुझे नहीं पता
जब मुर्ग़ा बाँग देता है
तब सवेरा होता है
या जब सबेरा होता है
तब मुर्ग़ा बाँग देता है
इसकी फ़िलॉसफ़ी क्या है?
मुझे नहीं पता!पर
पिछले कुछ दशकों में
मुर्ग़ानुमा...
बचाकर रखे हैं कुछ रंग, चींटियों के पंख, पंखों की मज़बूती
बचाकर रखे हैं कुछ रंग
बचाकर रखा है
होठों का गुलाबी रंग
उन वैधव्यता वाले गालों के लिए
जिनके पति लिपटे हुए लौटते हैं तिरंगे मेंबचाकर रखा है
बालों...
निवाला
'Niwala', a nazm by
Ali Sardar Jafriमाँ है रेशम के कारख़ाने में
बाप मसरूफ़ सूती मिल में है
कोख से माँ की जब से निकला है
बच्चा...
गौरव भारती की कविताएँ – IV
Poetry by Gaurav Bharti
क़ैद रूहें
उनका क्या
जो नहीं लौटते हैं घर
कभी-कभार
देह तो लौट भी जाती है
मगर रूहें खटती रहती हैं
मीलों में
खदानों में
बड़े-बड़े निर्माणाधीन मकानों में
इस उम्मीद...