दूसरे-दूसरे कारणों से मारा जाऊँगा
बहुत अधिक सुख से
अकठिन सहज यात्राविराम से
या फिर भीतर तक बैठी
जड़ शान्ति से
लेकिन नहीं मरूँगा
कुशासन की कमीनी चालों से
आए दिन के...
मैं उन इलाक़ों में गया
जहाँ मकान चुप थे
उनके ख़ालीपन को धूप उजला रही थी
हवा शान्त, मन्थर—
अपने डैने चोंच से काढ़ने को
बेचैन थी
लोग जा चुके हैं
उन्हें कुछ...
1
घर से निकलकर
कभी न लौट पाने का दुःख
समझने के लिए
तुम्हें होना पड़ेगा
एक नदी!
2
नदियों की निरन्तरता
को बाँध
उनका पड़ाव निर्धारित कर
मनुष्य ने देखा है
ठहरी हुई नदियों...