राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त (३ अगस्त १८८६ – १२ दिसम्बर १९६४) हिन्दी के प्रसिद्ध कवि थे। हिन्दी साहित्य के इतिहास में वे खड़ी बोली के प्रथम महत्त्वपूर्ण कवि हैं। उन्हें साहित्य जगत में 'दद्दा' नाम से सम्बोधित किया जाता था। उनकी कृति भारत-भारती (1912) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के समय में काफी प्रभावशाली साबित हुई थी और इसी कारण महात्मा गांधी ने उन्हें 'राष्ट्रकवि' की पदवी भी दी थी।
अनुवाद: पंखुरी सिन्हा
औंधा पड़ा सपना
प्यार दरअसल फाँसी का
पुराना तख़्ता है, जहाँ हम
सोते हैं! और जहाँ से हमारी
नींद, देखना चाह रही होती है
चिड़ियों की ओर!मत...
प्रिया सारुकाय छाबड़िया एक पुरस्कृत कवयित्री, लेखिका और अनुवादक हैं। इनके चार कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं जिनमें नवीनतम 'सिंग ऑफ़ लाइफ़ रिवीज़निंग...
आधे-अधूरे: एक सम्पूर्ण नाटक
समीक्षा: अनूप कुमार
मोहन राकेश (1925-1972) ने तीन नाटकों की रचना की है— 'आषाढ़ का एक दिन' (1958), 'लहरों के राजहंस' (1963)...
लम्बी कविता: डरावना स्वप्न
(एक)हर रात वही डरावना सपना
लगभग तीन से चार बजे के बीच आता है
और रोम-रोम कँपा जाता है
बहुत घबराहट के साथ
पसीने-पसीने हुआ-सा...
हम पृथ्वी की शुरुआत से स्त्री हैं
सरकारें बदलती रहीं
तख़्त पलटते रहे
हम स्त्री रहे
विचारक आए
विचारक गए
हम स्त्री रहे
सैंकड़ों सावन आए
अपने साथ हर दूषित चीज़ बहा...