‘Ab Yeh Chidiya Kahan Rahegi’, Bal Kavita by Mahadevi Verma

आँधी आयी ज़ोर-शोर से,
डालें टूटी हैं झकोर से।
उड़ा घोंसला अण्डे फूटे,
किससे दुःख की बात कहेगी!
अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी?

हमने खोला अलमारी को,
बुला रहे हैं बेचारी को।
पर वो चीं-चीं कर्राती है
घर में तो वो नहीं रहेगी!

घर में पेड़ कहाँ से लाएँ,
कैसे यह घोंसला बनाएँ!
कैसे फूटे अण्डे जोड़ें,
किससे यह सब बात कहेगी!
अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी?

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Book by Mahadevi Verma:

महादेवी वर्मा
महादेवी वर्मा (२६ मार्च १९०७ — ११ सितंबर १९८७) हिन्दी की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से हैं। वे हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक मानी जाती हैं। आधुनिक हिन्दी की सबसे सशक्त कवयित्रियों में से एक होने के कारण उन्हें आधुनिक मीरा के नाम से भी जाना जाता है।