अनुवाद: पद्मजा घोरपड़े
जातीय दंगा-फ़साद की गोलाबारी में
मर गये मेरे बाप की लाश उठाते हुए
मुझे लगा
मेरा ही विभाजन हो गया है
देश से!
मुख्यमन्त्री निधि से मिला बाप का मुआवज़ा
सरकारी मदद!
मेरा लावारिस होना
और माँ का बेवा होना…
माँ की भर आयी आँखें
नोटों में से बहती रहीं—बाढ़-सी!
बाप मुआवज़े में खर्च होता रहा
मन्त्रालय के पाँव
माँ के बिस्तर पर
हर रोज़ समाचार-पत्रों में
मनाने-रिझाने के बहाने!
माँ, मैं, भाई-बहन
सरकारी मदद बाप की लाश-सी
माँ की गोद में!
मैं पाँच हज़ार नोट गिनता रहता हूँ
पाँच हज़ार बार राजमुद्रा ही दिखती है
ख़ूनी की तरह!
बाप कहीं भी नहीं दिखता!