‘Timepass’, a poem by Vijay Rahi

दो आदमी बात कर रहे थे
एक ने पूछा, आप कहाँ रहते हैं?
दूसरे ने बताया… जयपुर

पहले ने कहा, मैं भी जयपुर रहता हूँ
दूसरा बोला, अरे वाह्ह!
जयपुर में आप कौन-सी जगह रहते हैं?
पहले ने बताया… मैं प्रेमनगर रहता हूँ
दूसरे ने कहा, क्या बात है! मैं भी प्रेमनगर रहता हूँ!

पहले ने फिर पूछा,
आप प्रेमनगर में कौन-सी जगह रहते हैं?
दूसरे ने बताया, मैं मकान नम्बर बी-सत्तावन में रहता हूँ
पहले ने कहा, अद्भुत!
मैं भी बी-सत्तावन में रहता हूँ!

मैं पास खड़ा उनकी बातें बड़े ग़ौर से सुन रहा था
मैंने दोनों की ओर देख कहा,
“कमाल है!
आप दोनों एक जगह, एक ही घर में रहते हैं,
और एक-दूसरे को नहीं जानते!”

उनमें से पहला आदमी
पहले थोड़ा मुस्कराया
फिर मेरी तरफ़ हँसकर बोला…
“दरअस्ल हम बाप-बेटे हैं
हम तो बस्स टाईमपास कर रहे हैं।”

विजय राही
विजय राही पेशे से सरकारी शिक्षक है। कुछ कविताएँ हंस, मधुमती, दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका, डेली न्यूज, राष्ट्रदूत में प्रकाशित। सम्मान- दैनिक भास्कर युवा प्रतिभा खोज प्रोत्साहन पुरस्कार-2018, क़लमकार द्वितीय राष्ट्रीय पुरस्कार (कविता श्रेणी)-2019