‘Johta Hoon Baat Rani’, a poem by Bedhab Banarasi
शीघ्र आओ प्रेम का मेरे न उलटे ठाठ रानी!
है असह्य वियोग बाले
है निशा टलती न टाले
करवटें लेते हुए टूटी हमारी खाट रानी!
बोलने की बात तो क्या,
पत्र का उत्तर न भेजा
क्या कहीं की बन गयी हो आजकल तुम लाट रानी!
धर्म भी थोड़ा कमाऊँ
और दर्शन साथ पाऊँ
एक दिन आओ सबेरे तुम अहल्या घाट रानी!
विश्व मैंने है बिसारा
गीत बस अब है सहारा
मैं जुदाई में तुम्हारी बन गया हूँ भाट रानी!
देख क्या करते बिचारे
जब बिना दर्शन तुम्हारे
मिल गए कितने कहानी-लेखकों को प्लाट रानी!
जोहता हूँ बाट रानी..
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