‘Kshama Yachana’, a poem by Umashankar Joshi

प्रिये,
माफ़ करना यह
कि कभी दुलार से नहीं पुकारा तुझे।
बहुत व्यस्त मैं आज
अपने दोनों के अनेक मिलनों की कथा लिखने में।

सब्र करना, सखि आज ज़रा;
यदि कोई पत्र न भेज सकूँ मैं,
सखि,
हमारे प्रणय के गीत रचने में

हूँ पूरा तल्लीन।
सहना प्रिय, ज़िन्दगी में
नहीं पाया प्रणयामृत पूरा।
कवि मैं,
सुधा की प्याऊ पीछे छोड़ जाने के लिए
जीवन में जूझता।

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