परदे के पीछे मत जाना मेरे भाई
टुकड़े-टुकड़े कर डालेंगे, बैठे हुए कसाई।
बड़े-बड़े अफ़सर बैठे हैं
माल धरे तस्कर बैठे हैं
बैठे हैं कुबेर के बेटे
ऐश लूटते लेटे-लेटे
नंगी कॉकटेल में नंगी नाच रही गोराई।
इधर बोरियों की क़तार है
पतलूनों में रोज़गार है
बड़े-बड़े गोदाम पड़े हैं
जिन पर नमक हराम खड़े हैं
परदे के बाहर पहरे पर आदमक़द महँगाई।
जिसने उधर झाँककर देखा
उसकी खिंची पीठ पर रेखा
काया लगने लगी गिलहरी
ख़ून गिरा पी गई कचहरी
ऐसा क़त्ल हुआ चौरे में लाश न पड़ी दिखायी।
तेरी क्या औक़ात बावले
जो परदे की ओर झाँकले
ये परदा इस-उसका चन्दा
समझौतों का गोल पुलन्दा
ऐसा गोरखधन्धा जिसकी नस-नस में चतुराई।
जो इक्के-दुक्के जाएँगे
वापस नहीं लौट पाएँगे
जाना है तो गोल बना ले
हथियारों पर हाथ जमा ले
ऐसा हल्ला बोल कि जागे जन-जन की तरुणाई।