दिल का सामान उठाओ
जान को नीलाम करो
और चलो
दर्द का चाँद सर-ए-शाम निकल आएगा
क्या मुदावा है
चलो दर्द पियो
चाँद को पैमाना बनाओ
रुत की आँखों से टपकने लगे काले आँसू
रुत से कह दो
कि वो फिर आए
चलो
इस गुल-अंदाम की चाहत में भी क्या क्या न हुआ
दर्द पैदा हुआ दरमाँ कोई पैदा न हुआ..

मख़दूम मुहिउद्दीन
मखदूम मोहिउद्दीन या अबू सईद मोहम्मद मखदूम मोहिउद्दीन हुजरी (4 फ़रवरी 1908 - 25 अगस्त 1969), भारत से उर्दू के एक शायर और मार्क्सवादी राजनीतिक कार्यकर्ता थे। वे एक प्रतिष्ठित क्रांतिकारी उर्दू कवि थे।