सूफ़ियों में हूँ न रिन्‍दों में, न मयख़्वारों में हूँ,
ऐ बुतो, बन्‍दा ख़ुदा का हूँ, गुनहगारों में हूँ!

मेरी मिल्‍लत है मुहब्‍बत, मेरा मज़हब इश्‍क़ है
ख़्वाह हूँ मैं क़ाफ़िरों में, ख़्वाह दीं-दारों में हूँ

नै मेरा मूनिस है कोई, और न कोई ग़म-गुसार
ग़म मेरा ग़मख़्वार है, मैं ग़म के ग़मख़्वारों में हूँ

जो मुझे लेता है, फिर वह फेर देता है मुझे
मैं अजब इक जिन्‍स नाकारा ख़रीदारों में हूँ

ऐ ज़फ़र मैं क्‍या बताऊँ तुझको, जो कुछ हूँ सो हूँ
लेकिन अपने फ़ख़्रे-दीं के कफ़श बरदारों में हूँ..

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बहादुर शाह ज़फ़र
बहादुर शाह ज़फर (1775-1862) भारत में मुग़ल साम्राज्य के आखिरी शहंशाह थे और उर्दू के माने हुए शायर थे। उन्होंने १८५७ का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भारतीय सिपाहियों का नेतृत्व किया। युद्ध में हार के बाद अंग्रेजों ने उन्हें बर्मा (अब म्यांमार) भेज दिया जहाँ उनकी मृत्यु हुई।

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