Tag: Urdu ghazal
हो के आशिक़ जान मरने से चुराए किस लिए
हो के आशिक़ जान मरने से चुराए किस लिए
मर्द-ए-मैदाँ जो न हो मैदाँ में आए किस लिए
जो दिल-ओ-ईमाँ न दीं नज़्र उन बुतों को...
सब्र आता है जुदाई में न ख़्वाब आता है
सब्र आता है जुदाई में, न ख़्वाब आता है
रात आती है इलाही कि अज़ाब आता है
बे-क़रारी दिल-ए-बेताब की ख़ाली तो नहीं
या वो ख़ुद आते...
पहले तो मुझे कहा निकालो
पहले तो मुझे कहा निकालो
फिर बोले ग़रीब है बुला लो
बे-दिल रखने से फ़ाएदा क्या
तुम जान से मुझ को मार डालो
उस ने भी तो देखी...
वाँ अगर जाएँ तो ले कर जाएँ क्या
वाँ अगर जाएँ तो ले कर जाएँ क्या
मुँह उसे हम जा के ये दिखलाएँ क्या
दिल में है बाक़ी वही हिर्स-ए-गुनाह
फिर किए से अपने हम...
ख़ुद दिल में रह के आँख से पर्दा करे कोई
ख़ुद दिल में रह के आँख से पर्दा करे कोई
हाँ लुत्फ़ जब है पा के भी ढूँढा करे कोई
तुम ने तो हुक्म-ए-तर्क-ए-तमन्ना सुना दिया
किस दिल...
चाहे तन मन सब जल जाए
चाहे तन मन सब जल जाए
सोज़-ए-दरूँ पर आँच न आए
शीशा टूटे ग़ुल मच जाए
दिल टूटे आवाज़ न आए
बहर-ए-मोहब्बत तौबा! तौबा!
तैरा जाए न डूबा जाए
ऐ...
जाँ से गुज़रे भी तो दरिया से गुज़ारेंगे तुम्हें
जाँ से गुज़रे भी तो दरिया से गुज़ारेंगे तुम्हें
साथ मत छोड़ना हम पार उतारेंगे तुम्हें
तुम सुनो या न सुनो, हाथ बढ़ाओ न बढ़ाओ
डूबते डूबते...
न पूछ क्यूँ मिरी आँखों में आ गए आँसू
न पूछ क्यूँ मिरी आँखों में आ गए आँसू
जो तेरे दिल में है इस बात पर नहीं आए
वफ़ा-ए-अहद है ये पा-शिकस्तगी तो नहीं
ठहर गया...
दिल को लेकर हमसे अब जाँ भी तलब करते हैं आप
'Dil Ko Lekar Humse', by Nazeer Akbarabadi
दिल को लेकर हमसे अब जाँ भी तलब करते हैं आप
लीजिए हाज़िर है पर ये तो ग़ज़ब करते...
मैंने पूछा पहला पत्थर मुझ पर कौन उठाएगा
'Maine Poochha Pehla Patthar Mujh Par Kaun Uthaaega', a ghazal by Qateel Shifai
मैंने पूछा पहला पत्थर मुझ पर कौन उठाएगा
आई इक आवाज़ कि तू...
सरकती जाए है रुख़ से नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता
सरकती जाए है रुख़ से नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता
निकलता आ रहा है आफ़्ताब आहिस्ता आहिस्ता
जवाँ होने लगे जब वो तो हमसे कर लिया पर्दा
हया यकलख़्त...
ये बात बात में क्या नाज़ुकी निकलती है
ये बात-बात में क्या नाज़ुकी निकलती है
दबी-दबी तिरे लब से हँसी निकलती है
ठहर-ठहर के जला दिल को, एक बार न फूँक
कि इसमें बू-ए-मोहब्बत अभी...