Tag: Anshu Mali Rastogi
कितना कुछ
कितना कुछ है लिखने को
कितना कुछ है लिखकर भुला देने को
जो अलिखित है
उसे लिखने की जिज्ञासा भी है
लेकिन कितना लिखा जाएगा
मनुष्य लिखने की मशीन...
इश्क़ की बीमारी में गिरफ़्त
अभी पिछली बीमारी से 'मुक्ति' पाया ही था कि एक नई बीमारी ने आकर मुझे घेर लिया। यह 'इश्क़ की बीमारी' है। अतः इस...
मौन के बीच
शब्द कभी-कभी
ठहर जाया करें
क्या करेंगे बोलकर
मौन रहे बीच में
तो कितना अच्छा
आँखें ही बोलें
आँखें ही सुनें
ये इशारे कितने ज़हीन होंगे न
रोज का मिलना
कभी-कभी के मिलने...
बदलते रिश्ते
बस में हमारे कुछ नहीं
पल में शब्द तो
पल में रिश्ते बदल जाते हैं
बदलते देखा है मैंने दिलों को भी
इश्क की दास्तानों को भी
किसे यकीन...