Tag: Joshnaa Banerjee Adwanii

Joshnaa Banerjee Adwanii

आदिवासी प्रेमी युगल

'Adivasi Premi Yugal', a poem by Joshnaa Banerjee Adwanii वो झारखंड ज़िले के संथल से बत्तीस किलोमीटर दूर ऊसर भूमि पर वास करती है आँखों में वहनि-सा तेज सूरत से...
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बू

'Boo', a poem by Joshnaa Banerjee Adwanii मैंने एक जगह रुक के डेरा डाला मैंने चाँद सितारों को देखा मैंने जगह बदल दी मैंने दिशाओं को जाना मैं अब...
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छिपने की जगह

'Chhipne Ki Jagah', Hindi Kavita by Joshnaa Banerjee Adwanii छिपने की सभी जगहों में से कुछ सुरक्षित जगह हैं रात की आख़िरी कौंध चुप की ज़ुबाँ राख हुई हसरत...
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अलबत्ता प्रेम

'Albatta Prem', a poem by Joshnaa Banerjee Adwanii ईश्वर ने सोचा ये सुन्दर है नदी ने सोचा ये पीछे छूटी स्मृतियों की टीस पर्वत ने सोचा ये गर्व से नीचे...
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मज़दूर ईश्वर

'Mazdoor Ishwar', a poem by Joshnaa Banerjee Adwanii अनुपस्थितियों को सिखायी सोलह कलाएँ, गुनाह के अनेक तथ्य बनाकर प्रायश्चित्त को मोक्ष दिया, संगीत की लय में प्रेमियों की आत्माओं के लिए गुंजाइश...
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एकतरफ़ा प्रेम में लड़की

'Ektarfa Prem Mein Ladki', a poem by Joshnaa Banerjee Adwanii बादलों पर टिका देती है ऐंठे हुए सोमवार साग के डण्ठलों में ढूँढ लेती है उसकी...
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जोशना बैनर्जी आडवानी की कविताएँ

बू मैंने एक जगह रुक के डेरा डाला मैंने चाँद सितारों को देखा मैंने जगह बदल दी मैंने दिशाओं को जाना मैं अब ख़ानाबदोश हूँ मैं नख़लिस्तानों के ठिकाने जानती...
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