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खलील जिब्रान – ‘नास्तिक’
खलील जिब्रान की किताब 'नास्तिक' से उद्धरण | Quotes from 'Nastik', a book by Kahlil Gibran
चयन: पुनीत कुसुम
"मेरा कोई शत्रु नहीं है, पर भगवान,...
साढ़े तीन आने
"मैंने क़त्ल क्यों किया। एक इंसान के ख़ून में अपने हाथ क्यों रंगे, यह एक लम्बी दास्तान है। जब तक मैं उसके तमाम अवाक़िब...
इंसाफ़ का तराज़ू जो हाथ में उठाए
इंसाफ़ का तराज़ू जो हाथ में उठाए
जुर्मों को ठीक तोले
ऐसा न हो कि कल का इतिहासकार बोले
मुजरिम से भी ज़ियादा
मुंसिफ़ ने ज़ुल्म ढाया
कीं पेश...
प्रीता अरविन्द की कविताएँ
Poems: Prita Arvind
दंगे
दिल्ली उन्नीस सौ चौरासी
मुम्बई उन्नीस सौ बानवे
गुजरात दो हज़ार दो
मुजफ़्फ़रनगर दो हज़ार तेरह
और अब फिर दिल्ली दो हज़ार बीस,
कोई छप्पन लोग मारे...
पंच-परमेश्वर
'Panch Parmeshwar', a story by Premchand
जुम्मन शेख और अलगू चौधरी में गाढ़ी मित्रता थी। साझे में खेती होती थी। कुछ लेन-देन में भी साझा...