Tag: Jyotsna Milan

Jyotsna Milan

करवट

चरमराते तख़त पर लेटे-लेटे रात बहुत देर सोचते रहते वे करवट बदलने के बारे में, उनके लिए करवट बदलने से आसान था उसके बारे में सोचना, अपने से अलग रखा जा सकता था...
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रात

सबसे पहले शुरू होता है माँ का दिन मुँह अंधेरे और सबके बाद तक चलता है छोटी होती हैं माँ की रातें नियम से और दिन नियम से लम्बे रात में दूर तक...
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औरत

प्यार के क्षणों में कभी-कभी ईश्वर की तरह लगता है मर्द औरत को ईश्वर... ईश्वर... की पुकार से दहकने लगता है उसका समूचा वजूद अचानक कहता है मर्द— "देखो मैं ईश्वर हूँ" औरत देखती है उसे और ईश्वर...
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