Tag: Lockdown Diary by Gaurav Bharti
बिखरा-बिखरा, टूटा-टूटा : कुछ टुकड़े डायरी के (चार)
आदमी, शरीर से ही नहीं थकता, मन से भी थकता है। मन से थका हुआ आदमी सहानुभूति का विषय है, शरीर से थका हुआ...
बिखरा-बिखरा, टूटा-टूटा : कुछ टुकड़े डायरी के (तीन)
कल रात मैंने चश्मे के टूटे हुए काँच को जोड़ते हुए महसूस किया कि टूटे हुए को जोड़ना बहुत धैर्य का काम है। इसके...
बिखरा-बिखरा, टूटा-टूटा : कुछ टुकड़े डायरी के (दो)
सम्वाद महज़ शब्दों से तो नहीं होता। जब शब्द चूक जाते हैं, तब स्पर्श की अर्थवत्ता समझ आती है। ग़ालिब कहते हैं— "मौत का...
बिखरा-बिखरा, टूटा-टूटा : कुछ टुकड़े डायरी के (एक)
बहुत बुरा वक़्त है। ऐसा लगा था सब ठीक होने वाला है। लेकिन बुरा वक़्त इतनी जल्दी पीछा कहाँ छोड़ता है? श्मशान लाशों से...