Tag: Prison

Dushyant Kumar

क़ैद परिंदे का बयान

तुमको अचरज है—मैं जीवित हूँ! उनको अचरज है—मैं जीवित हूँ! मुझको अचरज है—मैं जीवित हूँ! लेकिन मैं इसीलिए जीवित नहीं हूँ— मुझे मृत्यु से दुराव था, यह जीवन जीने...
Nelson Mandela

नेल्सन मंडेला

छोटी-सी जगह से बड़े-बड़े सपने देखे जा सकते हैं उसने बचपन में पिता से सुनी थी यह बात तभी तो उसने देखा था जेल की आठ बाई सात की...
Vijaydev Narayan Sahi

दीवारें

जिस दिन हमने तोड़ी थीं पहली दीवारें, (तुम्हें याद है?) छाती में उत्साह कंठ में जयध्वनियाँ थीं। उछल-उछलकर गले मिले थे, फिरे बाँटते बड़ी रात तक हम बधाइयाँ। काराघर में फैल...
Vijay Rahi

जेल

'Jail', a poem by Vijay Rahi मैं जानता था पर कितना कम जानता था कि जेल सिर्फ़ एक कोठरी का नाम है। बचपन में गाँव के हमारे जैसे बच्चों...
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