Tag: Rajkamal Choudhary
राजकमल चौधरी
सोहर की पंक्तियों का रस
(चमड़े की निर्जनता को गीला करने के लिए)
नये सिरे से सोखने लगती हैं
जाँघों में बढ़ती हुई लालचे से
भविष्य के रंगीन...
ड्राइंगरूम
"जूड़ा बांधने की क्रिया के वक्त मेरी आंखें उसकी बांहों से चिपकी रहीं, और मैं आतंकित होता रहा। आतंकित इसलिए होता रहा कि उसका शरीर अपने-आप में शारीरिक आभिजात्य का सुंदरतम उदाहरण था और पता नहीं मेरा स्वभाव ऐसा क्यों है कि मैं नारी शरीर से और आभिजात्य से यों ही आतंकित होता रहा हूँ।"
जलते हुए मकान में कुछ लोग
"तुम जरा भी शर्म मत करो। समझ लो, अँधेरे में हर औरत हर मर्द की बीवी होती है। अँधेरे में शर्म मिट जाती है। रंग, धर्म, जात-बिरादरी, मोहब्बत, ईमान, अँधेरे में सब कुछ मिट जाता है। सिर्फ कमर के नीचे बैठी हुई औरत याद रहती है।"