‘Tu Hai Kushal’, a poem by Rahul Boyal
यदि समय की पीठ पर
घाव है तो घाव ही
तू मान पर
इस घाव को क़रार दे
बढ़ा अपने दक्ष हाथ
मल ज़रा सा पीठ पर
कुछ प्यार से प्यार दे।
तू है कुशल
तो ये भी कर
समय पे थोड़ी बर्फ़ रख
ख़ुद को थोड़ी आँच दे
निरक्षर हैं ये पीढ़ियाँ
न जानतीं बुरा-भला
ज़िम्मा ले, भविष्य के
ये संकेत बाँच दे।
यदि समय के पेट में
आग है तो आग ही
तू मान पर
इस आग से आकार दे
विचार मिट्टी किसलिए
जब लोहे सी है ज़िन्दगी
इस ज़िन्दगी को धार दे।
तू है कुशल
तो ये भी कर
दिल पे थोड़ा रहम खा
नज़र थोड़ी सँवार दे
आजकल जवानियाँ
बस जानतीं नादानियाँ
प्यार करके सोच मत
ना सोच कर के प्यार दे।
यदि समय की आँख में
कोई फेर है तो फेर ही
तू मान पर
इस फेर पे तू ग़ौर कर
कि क्यों है ये तीरगी
रोशनी के गीत गा
निगाह तेज़ और कर।
तू है कुशल
तो ये भी कर
नाम की न सोच तू
बस नाम को बिसार दे
जो दर्द मिलें हैं आजतक
उनकी ना बात कर
बात कर बस आज की
इस आज को पुकार दे।
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