तुम्हारा
कम्बल नीला,
तकिये नीले,
पर्दे-वर्दे भी
सब नीले,
बुकशेल्फ़
नीला,
स्वेटर नीला,
मफ़लर नीला,
अलमारी नीली
चप्पल नीली

और,
अब तो तुमने
मनमानी करके
ले लिए हैं
जूते भी
नीले ही

अब सब कुछ जब
नीला ही था
तो,
क्या ज़रूरत थी
दीवारों पर
नीले ही
पेंट की?

तुममें
रत्ती भर
समझ नहीं है
contrast की!

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मैंने
उस दिन
गुस्से में पूछा था,
“What is this obsession with blue?”

जैसे, पहले से ही
सोच रक्खा हो जवाब―
बस कर रहे थे
मेरे पूछने का इंतज़ार―
कि मैं यह बोलूँ
तो, तुम
बोल दो वह

कैसे तपाक से कहा था तुमने,
“Because, you came into my life, out of the blue.”

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वो
Olive green टीशर्ट
कितनी फबती थी
तुम पर

और,
terracotta red वाली
के तो
कहने ही क्या
पर,
तुमको
हर बार
वह नीली वाली ही
क्यों पहननी होती थी?

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ख़ून ना सही,
लाल स्याही से ही
लिख देना था

कितना unromantic
लगता है,
नारंगी डायरी से
झाँकता

नीली स्याही से
लिखा
प्रेमपत्र!

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यदि मुझे
आत्महत्या करनी होगी

जोधपुर चली जाऊँगी,
किसी ऊँची पहाड़ी से
कूद जाऊँगी

पुलिस वालों को
मिलेगी
मेरी आधी-तीही लाश

अगले रोज़
अख़बार में छपेगा
“किसी ने सोख लिया है
इस शहर का नील,
सूख गई सब झील!”

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हमेशा से नील
बनता रहा है
यातना का बायस

तुम्हारा जाना था
और, मैंने
नहीं धरे हैं
इस नीले ग्रह पर
अपने पाँव

बाँहे फैलाकर
नहीं ली है साँस
इस नीले गगन
के तले!

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सावन के अँधे को
दिखता होगा
हर तरफ़
हरा ही हरा

तुम्हारे प्रेम के
अंधेपन में
मेरी आँखों में,
रोम-रोम में,
नफ़स नफ़स में
उतर आया है
नील

कल ही
एक दोस्त ने पूछा भी था,
“तुम्हें निमोनिया हुआ है क्या?”

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एक घण्टे, उन्नीस मिनट
की ड्राइव के बाद

काई लगे
उस पत्थर पर
बैठते ही

तुमने रख दिए थे
मेरी गोद में
अपराजिता के चार फूल

और, मैंने पूछा था,
“ये कहाँ मिल गए तुम्हें?
हद्द करते हो…
Who proposes with Bluebellvine?”

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2018

कुशाग्र अद्वैत
कुशाग्र अद्वैत बनारस में रहते हैं, इक्कीस बरस के हैं, कविताएँ लिखते हैं। इतिहास, मिथक और सिनेेमा में विशेष रुचि रखते हैं। अभी बनारस हिन्दू विश्विद्यालय से राजनीति विज्ञान में ऑनर्स कर रहे हैं।