बराबर से बच कर गुज़र जाने वाले
ये नाले नहीं बे-असर जाने वाले

नहीं जानते कुछ कि जाना कहाँ है
चले जा रहे हैं मगर जाने वाले

मिरे दिल की बेताबियाँ भी लिए जा
दबे पाँव मुँह फेर कर जाने वाले

तिरे इक इशारे पे साकित खड़े हैं
नहीं कह के सब से गुज़र जाने वाले

मोहब्बत में हम तो जिए हैं, जिएँगे
वो होंगे कोई और मर जाने वाले

Previous articleबूढ़ा पुल
Next articleजिसके सम्मोहन में पागल धरती है आकाश भी है
जिगर मुरादाबादी
जिगर मुरादाबादी, एक और नाम: अली सिकंदर (1890–1960), 20 वीं सदी के सबसे प्रसिद्ध उर्दू कवि और उर्दू गजल के प्रमुख हस्ताक्षरों में से एक। उनकी अत्यधिक प्रशंसित कविता संग्रह "आतिश-ए-गुल" के लिए उन्हें 1958 में साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here