पृथ्वी कब से छाप रही है
अपने अख़बार के हर दूसरे पन्ने पर
मनुष्यों का बेदख़लनामा

मेरा और मेरे पूर्वजों का नाम छपा था किसी एक दिन
और किसी और दिन छपने वाला है
मेरी आने वाली पीढ़ियों का नाम

तुम
जो माँ-माँ पुकार वक्ष पर चढ़ बैठे हो
और रख दी है विकास की खड़ग उसके कण्ठ पर
ऐसी मातृहंता प्रजाति को अपनी संतान नहीं मानती
पृथ्वी!

Book by Sudarshan Sharma:

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सुदर्शन शर्मा
अंग्रेजी, हिन्दी और शिक्षा में स्नातकोत्तर सुदर्शन शर्मा अंग्रेजी की अध्यापिका हैं। हिन्दी व पंजाबी लेखन में सक्रिय हैं। हिन्दी व पंजाबी की कुछ पत्रिकाओं एवं साझा संकलनों में इनकी कविताएँ प्रकाशित हुई हैं।इनके कविता संग्रह 'तीसरी कविता की अनुमति नहीं' का प्रकाशन दीपक अरोड़ा स्मृति पांडुलिपि प्रकाशन योजना-2018 चयन के तहत हुआ है।

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