‘Chand Sitare Qaid Hain Sare Waqt Ke Bandikhaane Mein’, a ghazal by Meeraji

चाँद सितारे क़ैद हैं सारे वक़्त के बंदी-ख़ाने में
लेकिन मैं आज़ाद हूँ साक़ी छोटे से पैमाने में

उम्र है फ़ानी, उम्र है बाक़ी, इसकी कुछ पर्वा ही नहीं
तू ये कह दे वक़्त लगेगा कितना आने जाने में

तुझ से दूरी दूरी कब थी, पास और दूर तो धोखा हैं
फ़र्क़ नहीं अनमोल रतन को खोकर फिर से पाने में

दो पल की थी अंधी जवानी नादानी की भर पाया
उम्र भला क्यूँ बीते सारी रो रोकर पछताने में

पहले तेरा दीवाना था, अब है अपना दीवाना
पागलपन है वैसा ही कुछ, फ़र्क़ नहीं दीवाने में

ख़ुशियाँ आयीं अच्छा आयीं मुझ को क्या एहसास नहीं
सुधबुध सारी भूल गया हूँ दुख के गीत सुनाने में

अपनी बीती कैसे सुनाएँ मद-मस्ती की बातें हैं
‘मीरा-जी’ का जीवन बीता पास के इक मयख़ाने में

यह भी पढ़ें: मीराजी की नज़्म ‘जिस्म के उस पार’

Recommended Book:

मीराजी
मीराजी (25 मई, 1912 - 3 नवंबर, 1949) में पैदा हुए. उनका नाम मुहम्मद सनाउल्ला सनी दार, मीराजी के नाम से मशहूर हुए. उर्दू के अक प्रसिद्द शायर (कवि) माने जाते हैं. वह केवल बोहेमियन के जीवन में रहते थे, केवल अंतःक्रियात्मक रूप से काम करते थे।