माँ
रोती रही
सारी रात
दिन जैसी
ही दीप्त,
शरद की,
पूनम की,
बाँवरी रात
सहलाती रही
माँ का सिर,
मुलायम-सी,
ममतामयी रात
बेसुध हो
सोते रहे
तात
रोता रहा
समूचा गगन,
कुँवारा चाँद,
तकिया, कम्बल,
मनहूस खाट
और,
माँ…!
माँ
रोती रही
सारी रात
दिन जैसी
ही दीप्त,
शरद की,
पूनम की,
बाँवरी रात
सहलाती रही
माँ का सिर,
मुलायम-सी,
ममतामयी रात
बेसुध हो
सोते रहे
तात
रोता रहा
समूचा गगन,
कुँवारा चाँद,
तकिया, कम्बल,
मनहूस खाट
और,
माँ…!