सुस्वागतम्
ऋतु शरद! आओ
सुस्वागतम् ।
मूँज-पुष्प सा
शरद दिवस, है
धूसर वर्णी ।
पवन-पाश
में, हिम अकुलाई
काँपे सर्वस्व।
गहन निशा
के मुख पे पावक
का उबटन ।
ओस मदित
कचनार गुलाबी
हुए मुदित ।
यूकेलिप्टस
के प्रसून उड़ेलें
तीक्ष्ण सुवास।
जलकुम्भी ले
रंग बैंगनी छत्र
उठी गर्व से।
रक्त-रंजित
केश, करें धारण
शिरीष फूल।
~:फिर लिखेंगे :~
✒नम्रता श्रीवास्तव ✒