Tag: Anuradha Annanya
लिखो, मैं मियाँ हूँ!
'मियाँ पोएट्री' असम में मुसलमान कवियों के द्वारा 'मिया' बोली में लिखी गयी कविताएँ हैं, जो उनके साथ होते आए सामाजिक भेदभाव को दर्ज करती...
अँधेरे से उजाले की सिम्त
मूल रचना: 'अँधेरे से उजाले की ओर' - अनुराधा अनन्या
रूपान्तरण: असना बद्र
मुँह अँधेरे घर के सारे काम करके
दूर के स्कूल जाती बच्चियाँ
धूप में तपता हुआ...
तुम में भी आग दहकती है जीवन की
तुम मैदानों और पहाड़ों के बीच झूलते हो
किसी अदृश्य झूले में
तुम में आग दहकती है जीवन की
पहाड़ दर पहाड़ की चढ़ाई करके पहुँच जाते हो
जीवन...
सोचना
क्या होगा, क्या हो सकता था
क्या बचेगा, क्या नहीं बचा
कितना सिर खपाऊ और उबाऊ है ये सोचना
एक बूढ़ी हो चुकी ढीठ माशूक़ा बन्द कमरे में...
हम मिलते रहेंगे
जैसा कि तय था
हम मिलते हैं उतनी ही बेक़रारी से
जैसे तुम आये हो किसी दूसरे ही नक्षत्र से
अपने हमवतन दोस्तों के पास
अपने गर्म कपड़ों,...
सरहद के किनारे से
तुम हर साल ख़ास मौसम में आते हो मुझ तक
और मैं भी एक ख़ास मौसम में हो आती हूँ तुम्हारी धरती पर
एक ही देश...
पढ़ी लिखी लड़कियाँ
लड़कियाँ पढ़-लिख गई
तमाम सरकारी योजनाओं ने सफलता पाई
गैरसरकारी संस्थाओं के आँकड़े चमके
पिताओं ने पुण्य कमाया और
भाईयों ने बराबरी का दर्जा देने की सन्तुष्टि हासिल की
पढ़ी...
अँधेरे से उजाले की ओर
मुँह अँधेरे उठकर
घर के काम निपटा कर
विद्यालय जाती बच्चियाँ
विद्यालय जिसके दरवाज़े पर लिखा है
'अँधेरे से उजाले की ओर'
घर से पिट कर आई शिक्षिका
सूजे हुए...
अगर तस्वीर बदल जाए
सुनो, अगर मैं बन जाऊँ
तुम्हारी तरह प्रेम लुटाने की मशीन
मैं करने लगूँ तुमसे तुम्हारे ही जैसा प्यार
तुम्हारी तरह का स्पर्श जो आते-जाते मेरे गालों पे...
स्त्रीधन
भारतीय समाज में बेटी की शादी या बहू के आगमन की तैयारियाँ सालों पहले से शुरू हो जाती हैं, लेकिन इन 'भौतिक' दिखने वाली तैयारियों के पीछे उन्हें क्या-क्या संजोकर रखने के लिए दे दिया जाता है, इसका अंदाज़ा खुद यह समाज आज तक नहीं लगा पाया!
एक पन्ना और बस मैं
मैंने सारे क्षोभ को बटोरा
और कलम उठाई
फिर अपने सारे दुखों को ,निराशा को, थकान को
शब्दों मे पिरो कर कागज़ पर रसीद कर दिया
जैसे पूरा...
भागी हुई लड़कियों के घर
वो लड़कियाँ जिनके घर छूट गये
जिन्होंने घर छोड़ दिया
या जो लड़कियाँ भाग गईं
व्यवस्थाओं में ढलने के इनकार के साथ
ऐसी लड़कियों को सूँघ-सूँघ कर खोजा गया
पृथ्वी...