Tag: Asna Badar

Martha Medeiros

रफ़ता-रफ़ता यूँ ही किसी रोज़ मर न जाओ

कविता: रफ़ता-रफ़ता यूँ ही किसी रोज़ मर न जाओ ('You Start Dying Slowly') कवयित्री: मार्था मेदेरुस (Martha Medeiros) अनुवाद: असना बद्र तो रफ़ता-रफ़ता यूँ ही किसी रोज़...
Man In Dark

आदमीनामा

मेरी प्यारी औरत उषा सिंगर लेकर क्या समझीं ‏सीने वाले सूट कमीज दोशाले हम ही होते हैं ‏घर की हांडी भून के किस ख़ुशफ़हमी में तुम...
Kid, Girl

अँधेरे से उजाले की सिम्त

मूल रचना: 'अँधेरे से उजाले की ओर' -  अनुराधा अनन्या रूपान्तरण: असना बद्र मुँह अँधेरे घर के सारे काम करके दूर के स्कूल जाती बच्चियाँ धूप में तपता हुआ...
Anger, Stress, Mental illness, Shout, Scream, Animal

ऑफ़िस-ऑफ़िस

जैसे ही मालूम हुआ ‏के ज़िल्ले इलाही नालाँ हैं ‏तो सदरे महकमा सूट पहन तैयार हुए ‏और ‏मातहती के फ़र्ज़ निभाकर ‏सर को झुकाकर ‏बोझल क़दमों वापस आये ‏रात में ख़ाली सूप...
War, Guns, Army

जंग

जंग इक जोश है ‏आग है, रोष है ‏बस उन्हीं के लिए ‏जिनको सरहद पे गोली चलाना नहीं ‏जिनके सीने किसी का निशाना ‏नहीं ‏जंग सौभाग है ‏जज़्ब है, त्याग है ‏बस उन्हीं के...
Old woman

अभी से कौन मरता है?

गुलाबी सुर्ख़ नीली सब्ज़ मेरे पास हर मौसम की साड़ी है बनारस और कोटा सिल्क की मैसूर की साड़ी दिवाली, ईद, होली की शबे आशूर की साड़ी दोपट्टे जो चुने...
Traditional Woman leaning on wall

वो कैसी औरतें थीं?

'Wo Kaisi Auratein Thin', a nazm by Asna Badar वो कैसी औरतें थीं...? जो गीली लकड़ियों को फूँककर चूल्हा जलाती थीं जो सिल पर सुर्ख़ मिर्चें पीसकर...
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