Tag: Grief
विचित्र आकर्षण
दुख में कितना आकर्षण है!
ये जानता है एक चित्रकार,
उठाता है जब वो रंग
रंग देता है गरीबी, भूखमरी
कंकाल देह, तरसते नयन।
दुख में गजब का सम्मोहन...
सुख का दुःख
ज़िन्दगी में कोई बड़ा सुख नहीं है,
इस बात का मुझे बड़ा दुःख नहीं है,
क्योंकि मैं छोटा आदमी हूँ,
बड़े सुख आ जाएँ घर में
तो कोई ऐसा...
दुःख का एक महल
दुःख का एक महल
एक आलिशान महल
जिसमें मैं कभी भिश्ती हूँ
तो कभी दरवान
मैंने आज तक महल के राजा को नहीं देखा
केवल उसके आगे पानी भरा...
ऐसे वक़्त में
ऐसे वक़्त में,
जब नब्ज़ ढूँढने पर मालूम नहीं पड़ रही,
और साँसे भी किसी हादसे की ओट में उखड़ जाने की फ़िराक में हैं,
जब संगी-साथी दुनिया की...
हे मेरी तुम
हे मेरी तुम...
गंगा, गगन और तुम
तीनों स्थिर क्यों हो
क्यों खामोश हो
अपने बदन पर
गर्द-ओ-ग़ुबार को अटते हुए
कुछ बोलते क्यों नहीं
उगते जख्मों पर
समझता हूँ
तुम्हारे कोलाज़ को
मनअन्तस्...
दुःख का अधिकार
रीति-रिवाज, धर्म-परम्पराओं की भी अपनी महंगाई है और यह बाज़ार इतना निर्मम है कि साधनहीनों से उनके सुख ही नहीं, दुःखी होने तक का अधिकार छीन लेता है..
पढ़िए यशपाल ही यह कहानी 'दुःख का अधिकार' जो हिन्दी की सबसे अधिक संवेदनशील कहानियों में से एक है!