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कविताएँ – मई 2020
चार चौक सोलह
उन्होंने न जाने कितनी योनियाँ पार करके
पायी थी दुर्लभ मनुष्य देह
पर उन्हें क्या पता था कि
एक योनि से दूसरी योनि में पहुँचने के
कालान्तर से...
चप्पल
कहानी बहुत छोटी-सी है। मुझे ऑल इण्डिया मेडिकल इंस्टीटयूट की सातवीं मंज़िल पर जाना था। आई०सी०यू० में गाड़ी पार्क करके चला तो मन बहुत...
हम दोनों हैं दुःखी
हम दोनो हैं दुःखी। पास ही नीरव बैठें,
बोलें नहीं, न छुएँ। समय चुपचाप बिताएँ,
अपने-अपने मन में भटक-भटककर पैठें
उस दुःख के सागर में, जिसके तीर...
दुःख का निरस्तीकरण
वो दुःखी था क्योंकि
उसने दुःख का निरस्तीकरण अभी तक देखा नहीं थावो दुःख जो ग़रीब माँ के पेट से जन्म लेता है,
हर बार जिसके...
आश्रय
'Ashraya', Hindi Kavita by Rashmi Saxenaनमी खोखला कर देती है
भीतर तक,
दीवार की हो
काठ की हो अथवा
हो आत्मा कीमन की दीवार पर
दुःख द्वारा लगायी सेंध से
रिसता...
अवसाद
अवसाद के लिए दुनिया में कितनी जगह थी
पर उसने चुनी मेरे भीतर की रिक्ततामेरे भीतर के दृश्य को
देखने वाला कोई नहीं था
आख़िर नीले आसमान...
दुःख
'Dukh', a poem by Amar Dalpuraनदियों का अपना दुःख है
औरतों का अपना,
वे कल-कल बहती हैं
कल-कल में सूखती हैंउसे कल का संगीत
और कल का समय
अन्तःप्रवाही...
‘पीड़ा ही याद रही’ – दो कविताएँ
Poems: Manjula Bist
1
पीड़ा ही याद रही...जिनमें भी सौन्दर्य था
वे नश्वर सिद्ध थे
पीड़ाओं में कभी सौन्दर्यबोध न था
सो वे अमर हैं!इसीलिये ही तो
सारी तितलियों के...
क़िस्से से बाहर होने का दुःख
'Qisse Se Bahar Hone Ka Dukh', Hindi Kavita by Prabhat Milindजो कभी व्यक्त नहीं हो पाया
दुःख से बड़ा दुःख, यही दुःख थाअब तलक दिखने...
माँ का दुःख
कितना प्रामाणिक था उसका दुःख
लड़की को दान में देते वक्त
जैसे वही उसकी अन्तिम पूँजी होलड़की अभी सयानी नहीं थी
अभी इतनी भोली सरल थी
कि उसे सुख...
दुःख के दुःख की पीड़ा
'Dukh Ke Dukh Ki Peeda', poetry by Harshita Panchariyaसुख की देह जितनी सूक्ष्म है
उतना ही दुःख देह पर देह लिए
औंधा लटका रहता है
जैसे ही एक...
दुःख के दिन की कविता
'Dukh Ke Din Ki Kavita', poems by Santwana Shrikantमारे जाते हैं सपने
बची रह जाती है
परम्परा।
वध होता है
जिजीविषा का
ढोती रहती हैं सभ्यताएँ
यह दुःख।
सदियों तक
सलीब ढोता...