Tag: Kirti Chaudhary

Kirti Chaudhary

कविताई काम नहीं आती

अब कविताई अपनी कुछ काम नहीं आती मन की पीड़ा, झर-झर शब्दों में झरती थी है याद मुझे जब पंक्ति एक हलचल अशान्ति सब हरती थी यह क्या से क्या...
Kirti Chaudhary

प्यार करो

प्यार करो अपने से मुझसे नहीं सभी से प्यार करो। वह जो आँखों से दूर उपेक्षित पड़ा हुआ, वह जो मिट्टी की सौ पर्तों में गड़ा हुआ। वह जिसकी साँसें अभी आश्रित जीती...
Kirti Chaudhary

मुझे फिर से लुभाया

खुले हुए आसमान के छोटे-से टुकड़े ने, मुझे फिर से लुभाया। अरे! मेरे इस कातर भूले हुए मन को मोहने, कोई और नहीं आया। उसी खुले आसमान के टुकड़े...
Yellow Flower, Offering, Sorry, Apology

मन करता है

झर जाते हैं शब्द हृदय में पंखुरियों-से उन्हें समेटूँ, तुमको दे दूँ मन करता है गहरे नीले नर्म गुलाबी पीले सुर्ख़ लाल कितने ही रंग हृदय में झलक रहे हैं उन्हें सजाकर तुम्हें...
Kirti Chaudhary

सीमा-रेखा

मृग तो नहीं था कहीं बावले भरमते से इंगित पर चले गए। तुम भी नहीं थे— बस केवल यह रेखा थी जिसमें बँधकर मैंने दुःसह प्रतीक्षा की— सम्भव है...
Kirti Chaudhary

मुझे मना है

बिखरा है रंग, रूप, गंध, रस मेरे आगे मुझे मना है किंतु गंध को अंग लगाना, ख़ुशियों के चमकीले दामन को आगे बढ़कर छू आना, रस पीना, छक जाना, लुब्ध...
Kirti Chaudhary

केवल एक बात

केवल एक बात थी कितनी आवृत्ति, विविध रूप में कर के निकट तुम्हारे कही। फिर भी हर क्षण, कह लेने के बाद, कहीं कुछ रह जाने की पीड़ा बहुत सही। उमग-उमग...
कॉपी नहीं, शेयर करें! ;)