केवल एक बात थी
कितनी आवृत्ति,
विविध रूप में कर के निकट तुम्हारे कही।

फिर भी हर क्षण,
कह लेने के बाद,
कहीं कुछ रह जाने की पीड़ा बहुत सही।

उमग-उमग भावों की,
सरिता यों अनचाहे,
शब्द-कूल से परे सदा ही बही।

सागर मेरे! फिर भी
इस की सीमा-परिणति
सदा तुम्हीं ने भुज भर गही-गही।

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कीर्ति चौधरी
कीर्ति चौधरी (जन्म- 1 जनवरी, 1934, नईमपुर गाँव, उन्नाव ज़िला, उत्तर प्रदेश; मृत्यु- 13 जून, 2008, लंदन) तार सप्तक की मशहूर कवयित्री थी। साहित्य उन्हें विरासत में मिला था। उन्होंने "उपन्यास के कथानक तत्त्व" जैसे विषय पर शोध किया था।

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