Tag: Middle Class
ज़िन्दगी का लेखा
मैंने तेरी अलकों को नहीं
अपनी उलझनों को सुलझाया है!
अपने बच्चों को नहीं
साहबज़ादों को दुलराया है!
तब तुम्हें मुझसे
शिकायत होना वाजिब है
जब साहब को भी शिकायत...
मेहमान
सुरेन्द्र वर्मा की कहानी 'मेहमान' | 'Mehmaan', a story by Surendra Vermaमोती घर के बाहर चबूतरे पर टहल रहा था। चबूतरे से बिल्कुल सटी...
घर संसार में घुसते ही
घर संसार में घुसते ही
पहिचान बतानी होती है
उसकी आहट सुन
पत्नी-बच्चे पूछेंगे— 'कौन?'
'मैं हूँ'—वह कहता है
तब दरवाज़ा खुलता है।घर उसका शिविर
जहाँ घायल होकर वह लौटता है।रबर...
मध्यमवर्गीय ख़्वाब
'Madhyamvargiya Khwab', a poem by Supriya Mishraमिडिल क्लास का आदमी,
दफ़्तर जाते हुए निहारता है
रस्ते के दोनों तरफ़ उगे ऊँचे मकानों को।
चुराता है किसी से रंग,
किसी...
ड्राइंगरूम
"जूड़ा बांधने की क्रिया के वक्त मेरी आंखें उसकी बांहों से चिपकी रहीं, और मैं आतंकित होता रहा। आतंकित इसलिए होता रहा कि उसका शरीर अपने-आप में शारीरिक आभिजात्य का सुंदरतम उदाहरण था और पता नहीं मेरा स्वभाव ऐसा क्यों है कि मैं नारी शरीर से और आभिजात्य से यों ही आतंकित होता रहा हूँ।"
इस बार
एक किताब ख़रीदी जाएगी कविताओं की
और एक फ़्रॉक बिटिया के लिएछेदों वाली साड़ी
माँ की दिनचर्या से अलग हो जाएगी
एक बिन्दी का पत्ता चुनकर ख़रीदने का...