Tag: Narendra Jain
यहाँ आकाश है
जब तक देखा नहीं
तब तक
कहाँ था आकाश?
कल देखूँगा नहीं
तब कहाँ होगा आकाश
आकाश है यहाँ
यहाँ मैं देख रहा हूँ
मेरे देख लेने से
वह आकाश हुआ
हुई एक...
एक काला रंग
एक काला रंग चुनो
उसमें जो
लाल हरी नीली ऊर्जा है
उसे बाहर लाओ
उसमें जो
लगातार दौड़ रहे हैं घोड़े,
स्त्री, पुरुष, बच्चे
हँस रहे हैं,
उनके संग झुण्ड बनाकर
नाचो
एक पत्थर...
वर्णन
आज घटित हादसे के बारे में
संक्षेप में बतलाओ
वर्णन तथ्यपरक हो
और लगे तर्कसंगत
सन्देह के लिए जगह न बचे
शब्दों को दी जाए इतनी छूट
जितनी वर्णन के...
एक दिन शिनाख़्त
एक दिन
हमसे पूछा जाएगा
हम क्या कर रहे थे?
एक दिन
हमसे पूछा जाएगा
हमारी नींद कितनी गहरी थी?
एक दिन
हमसे पूछा जाएगा
हमारी आवाज़ कौन छीनकर ले गया?
एक दिन
हमसे पूछा...
थोड़ी बहुत मृत्यु
मृत्यु आयी और कल मेरी कहानी के एक पात्र को
अपने संग ले गई
अक्सर उसके घर के सामने से गुज़रते हुए
मैं उधर देख लिया करता था
अर्से से...
बच्चा हँस रहा है
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बच्चा हँस रहा है
ठीक इसी वक़्त
अमरीका ने किया है
समुद्र के गर्भ में परमाणु परीक्षण
ठीक इसी वक़्त
फ़रमा रहे हैं ज़िया उल हक़
मैं ख़ुदा की मर्ज़ी से
गद्दी...
कुल्हाड़ी
यहाँ लकड़ी कटती है लगातार
थोड़ा-थोड़ा आदमी भी कटता है
किसी की
उम्र कट जाती है
और पड़ी होती धूल में टुकड़े की तरह
शोर से भरी
इस गली में
कहने...