Tag: Rituraj
मरूँगा नहीं
दूसरे-दूसरे कारणों से मारा जाऊँगाबहुत अधिक सुख से
अकठिन सहज यात्राविराम से
या फिर भीतर तक बैठी
जड़ शान्ति सेलेकिन नहीं मरूँगा
कुशासन की कमीनी चालों से
आए दिन के...
एक बार में सब कुछ
कुछ भी छोड़कर मत जाओ इस संसार में
अपना नाम तक भी
वे अपने शोधार्थियों के साथ
कुछ ऐसा अनुचित करेंगे कि तुम्हारे नाम की संलिप्तता
उनमें नज़र...
लौटना
जीवन के अन्तिम दशक में
कोई क्यों नहीं लौटना चाहेगा
परिचित लोगों की परिचित धरती परनिराशा और थकान ने कहा—
जो कुछ इस समय सहजता से उपलब्ध है
उसे...
अँधेरे में प्रार्थना
ले चलो मुझे इस लोक से दूर कहीं
जहाँ निर्धन धनवानों को चुनते नहीं
जहाँ मूर्ख और पंगु नहीं बनते बुद्धिमान
जहाँ निर्बल स्त्रियों पर वीरता नहीं...
पिछली बातें
शान्त समय के और शान्त हो
जाने पर पानी में सपाट बादल के
बीच अनेक मुस्कानें खिलती हैं, ये कभी
स्त्रियाँ थीं जिन्हें तैरना पसन्द था
मेरी माँ...
छात्रावास में कविता-पाठ
कोई पच्चीस युवा थे वहाँ
सीटी बजी और सबके सब
एकत्रित हो गएकौन कहता है कि वे
कुछ भी सुनना-समझना नहीं चाहते,
वे चाहते हैं दुरुस्त करना
समय की...
लहर
द्वार के भीतर द्वार
द्वार और द्वार
और सबके अन्त में एक नन्हीं मछली
जिसे हवा की ज़रूरत है
प्रत्येक द्वार
में अकेलापन भरा है
प्रत्येक द्वार में
प्रेम का एक चिह्न...
कवि लोग
कवि लोग बहुत लम्बी उमर जीते हैं
मारे जा रहे होते हैं
फिर भी जीते हैंकृतघ्न समय में मूर्खों और लम्पटों के साथ
निभाते अपनी दोस्ती
उनके हाथों में...
माँ का दुःख
कितना प्रामाणिक था उसका दुःख
लड़की को दान में देते वक्त
जैसे वही उसकी अन्तिम पूँजी होलड़की अभी सयानी नहीं थी
अभी इतनी भोली सरल थी
कि उसे सुख...
कोड
'Code', a poem by Riturajभाषा को उलटकर बरतना चाहिएमैं उन्हें नहीं जानता
यानी मैं उन्हें बख़ूबी जानता हूँ
वे बहुत बड़े और महान् लोग हैं
यानी वे...
कभी इतनी धनवान मत बनना
'Kabhi Itni Dhanwan Mat Banana', a poem by Riturajकभी इतनी धनवान मत बनना कि लूट ली जाओसस्ते स्कर्ट की प्रकट भव्यता के कारण
हांग्जो की...