Tag: Saadat Hasan Manto
राजू
सन् इकत्तीस के शुरू होने में सिर्फ़ रात के चंद बरफ़ाए हुए घंटे बाक़ी थे। वो लिहाफ़ में सर्दी की शिद्दत के बाइस काँप...
फूलों की साज़िश
बाग़ में जितने फूल थे, सबके सब बाग़ी हो गए। गुलाब के सीने में बग़ावत की आग भड़क रही थी। उसकी एक-एक रग आतिशीं...
बग़ैर इजाज़त
नईम टहलता-टहलता एक बाग़ के अन्दर चला गया। उसको वहाँ की फ़ज़ा बहुत पसंद आयी। घास के एक तख़्ते पर लेटकर उसने ख़ुद कलामी...
मैं अफ़साना क्योंकर लिखता हूँ
मुअज़्ज़िज़ ख़्वातीन व हज़रात!
मुझसे कहा गया है कि मैं यह बताऊँ कि मैं अफ़साना क्योंकर लिखता हूँ। यह 'क्योंकर' मेरी समझ में नहीं आया—...
अनारकली
नाम उसका सलीम था मगर उसके यार-दोस्त उसे शहज़ादा सलीम कहते थे। ग़ालिबन इसलिए कि उसके ख़द-ओ-ख़ाल मुग़लई थे, ख़ूबसूरत था। चाल ढाल से रऊनत...
अब और कहने की ज़रूरत नहीं
ये दुनिया भी अजीब-ओ-ग़रीब है... ख़ासकर आज का ज़माना। क़ानून को जिस तरह फ़रेब दिया जाता है, इसके मुतअल्लिक़ शायद आपको ज़्यादा इल्म न...
आँखें
उसके सारे जिस्म में मुझे उसकी आँखें बहुत पसन्द थीं।
ये आँखें बिल्कुल ऐसी ही थीं जैसे अन्धेरी रात में मोटर कार की हेडलाइट्स जिनको आदमी...
बदसूरती
साजिदा और हामिदा दो बहनें थीं। साजिदा छोटी और हामिदा बड़ी। साजिदा ख़ुश-शक्ल थी। उनके माँ-बाप को यह मुश्किल दर पेश थी कि साजिदा...
औरत ज़ात
महाराजा ग से रेस कोर्स पर अशोक की मुलाक़ात हुई। इसके बाद दोनों बेतकल्लुफ़ दोस्त बन गए।
महाराजा ग को रेस के घोड़े पालने का...
ख़ाली बोतलें, ख़ाली डिब्बे
यह बात आज भी मुझे हैरत में डालती है कि ख़ासतौर पर ख़ाली बोतलों और ख़ाली डिब्बों से कुँवारे मर्दों को इतनी दिलचस्पी क्यों...
मोज़ील
सआदत हसन मंटो की कहानी 'मोज़ील' | 'Mozeel', a story by Saadat Hasan Manto
त्रिलोचन ने पहली बार, चार वर्षों में पहली बार, रात को...
इज़्ज़त के लिए
सआदत हसन मंटो की कहानी 'इज़्ज़त के लिए' | 'Izzat Ke Liye', a story by Saadat Hasan Manto
चुन्नीलाल ने अपनी मोटर साइकिल स्टॉल के...