Tag: Saadat Hasan Manto
दिवाली के दिए
छत की मुंडेर पर दीवाली के दीए हाँफते हुए बच्चों के दिल की तरह धड़क रहे थे।
मुन्नी दौड़ती हुई आई। अपनी नन्ही सी घगरी...
कस्रे-नफ्सी
एक तरफ तलवार और गोलियाँ, दूसरी तरफ दूध और हलवा.. लोगों की खिदमत करने के तरीके भी विभाजित हुए थे एक दौर में...
मुनासिब कार्रवाई
"हम दोनों अपना आप तुम्हारे हवाले करते हैं... हमें मार डालो।"
"हमारे धरम में तो जीव-हत्या पाप है..।"
हलाल और झटका
"इसको हलाल क्यों किया?"
"मजा आता है इस तरह..।"
साम्यवाद
लूट या साम्यवाद?
सफाई पसंद
गाड़ी रुकी हुई थी।
तीन बंदूकची एक डिब्बे के पास आए। खिड़कियों में से अंदर झाँककर उन्होंने मुसाफिरों से पूछा- "क्यों जनाब, कोई मुर्गा है?"
एक...