Tag: Saadat Hasan Manto
तमाशा
यह कहानी यहाँ सुनें:
https://youtu.be/lyNTqM0DU6g
दो-तीन रोज़ से हवाई जहाज़ स्याह उकाबों की तरह पर फैलाए खामोश फ़िज़ा में मँडरा रहे थे, जैसे वे किसी शिकार...
शिकारी औरतें
सआदत हसन मंटो की कहानी 'शिकारी औरतें' | 'Shikari Auratein', a story by Saadat Hasan Manto
आज मैं आपको कुछ शिकारी औरतों के क़िस्से सुनाऊँगा।...
शेर आया, शेर आया, दौड़ना
'Sher Aaya, Sher Aaya, Daudna', a story by Saadat Hasan Manto
ऊँचे टीले पर गडरिये का लड़का खड़ा, दूर जंगलों की तरफ़ मुँह किये चिल्ला...
नंगी आवाज़ें
यह कहानी यहाँ सुनें:
https://youtu.be/2qla8S8T0dI
भोलू और गामा दो भाई थे, बेहद मेहनती। भोलू कलई-गर था। सुबह धौंकनी सर पर रखकर निकलता और दिनभर शहर की...
भंगन
'Bhangan', a story by Saadat Hasan Manto
"परे हटिये..."
"क्यों?"
"मुझे आपसे बू आती है।"
"हर इन्सान के जिस्म की एक ख़ास बू होती है... आज बीस बरसों...
कुत्ते की दुआ
'Kutte Ki Dua', a story by Saadat Hasan Manto
"आप यक़ीन नहीं करेंगे, मगर यह वाक़या जो मैं आपको सुनाने वाला हूँ, बिल्कुल सही है,"...
सौदा बेचने वाली
“हटाओ यार... तुमने इस लड़की में क्या देखा है जो इस बुरी तरह लट्टू हो गए हो?"
जमील को बुरा लगा, “तुम्हें हुस्न की परख ही नहीं... अपना अपना दिल है... तुम्हें अगर जमीला में कोई बात नज़र नहीं आई तो इसका ये मतलब नहीं कि मुझे दिखाई न दी हो।"
बिजली पहलवान
"ये कोठी अब तुम्हारी है, मेरी बीवी भी अब तुम्हारी बीवी है, ख़ुश रहो।"
हजामत
“या अल्लाह मेरी तौबा!... मुझे ज़्यादा तंग न कीजिए... मेरा जी चाहता है अपने सर के बाल नोचना शुरू कर दूँ।”
“मेरा सर मौजूद है... तुम इस के बाल बड़े शौक़ से नोच सकती हो।”
ब्लाउज़
कुछ दिनों से मोमिन बहुत बेक़रार था। उस को ऐसा महसूस होता था कि उसका वजूद कच्चा फोड़ा सा बन गया था। काम करते...
बर्फ़ का पानी
“सुनो निमोनिया हो तो डाक्टर को बुला लाऊं?”
“हरगिज़ नहीं... मैं मरना चाहती हूँ।”
“तो मैं नहीं बुलाऊंगा। लेकिन निमोनिया के मरीज़ फ़ौरन नहीं मरते, पाँच छः रोज़ तो लगाते हैं।”
“आप इस अर्से तक इंतिज़ार कीजिएगा।”
अब्जी डूडू
"चाँदनी रात में तुम्हारा बदन कितना चमक रहा है।”
“मुझे तो इस चाँदनी से नफ़रत है। कमबख़्त आँखों में घुसती है। सोने नहीं देती।”
“तुम्हारे दिल में इतनी नफ़रत क्यों पैदा हो गई... मुझ से कोई ख़ता हुई हो तो बता दो।”
“आप की तीन ख़ताएँ ये सामने पलंग पर पड़ी हैं।”