उनसे नयन मिला के देखो
ये धोखा भी खा के देखो

दूरी में क्या भेद छुपा है
इसका खोज लगा के देखो

किसी अकेली शाम की चुप में
गीत पुराने गा के देखो

आज की रात बहुत काली है
सोच के दीप जला के देखो

दिल का घर सुनसान पड़ा है
दुःख की धूम मचा के देखो

जाग-जागकर उम्र कटी है
नींद के द्वारे जा के देखो

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मुनीर नियाज़ी
उर्दू/पंजाबी शायर व गीतकार!

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