यह चेतावनी है
कि एक छोटा बच्‍चा है।
यह चेतावनी है
कि चार फूल खिले हैं।
यह चेतावनी है
कि ख़ुशी है
और घड़े में भरा हुआ पानी
पीने के लायक़ है,
हवा में सॉंस ली जा सकती है।
यह चेतावनी है
कि दुनिया है,
बची दुनिया में
मैं बचा हुआ
यह चेतावनी है
मैं बचा हुआ हूँ।
किसी होने वाले युद्ध से
जीवित बच निकलकर
मैं अपनी
अहमियत से मरना चाहता हूँ
कि मरने के
आख़िरी क्षणों तक
अनंतकाल जीने की कामना करूँ
कि चार फूल हैं
और दुनिया है।

विनोद कुमार शुक्ल की कविता 'प्रेम की जगह अनिश्चित है'

Book by Vinod Kumar Shukla:

Previous articleमुझे नींद नहीं आती
Next articleयायावर
विनोद कुमार शुक्ल
विनोद कुमार शुक्ल हिंदी के प्रसिद्ध कवि और उपन्यासकार हैं! 1 जनवरी 1937 को भारत के एक राज्य छत्तीसगढ़ के राजनंदगांव में जन्मे शुक्ल ने प्राध्यापन को रोज़गार के रूप में चुनकर पूरा ध्यान साहित्य सृजन में लगाया! वे कवि होने के साथ-साथ शीर्षस्थ कथाकार भी हैं। उनके उपन्यासों ने हिंदी में पहली बार एक मौलिक भारतीय उपन्यास की संभावना को राह दी है। उन्होंने एक साथ लोकआख्यान और आधुनिक मनुष्य की अस्तित्वमूलक जटिल आकांक्षाओं की अभिव्यक्ति को समाविष्ट कर एक नये कथा-ढांचे का आविष्कार किया है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here