अंकिता वर्मा हिमाचल के प्यारे शहर शिमला से हैं। तीन सालों से चंडीगढ़ में रहकर एक टेक्सटाइल फर्म में बतौर मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव काम कर रही थीं, फिलहाल नौकरी छोड़ कर किताबें पढ़ रही हैं, लिख रही हैं और खुद को खोज रही हैं। अंकिता से [email protected] पर सम्पर्क किया जा सकता है!
अनुवाद: पंखुरी सिन्हा
युद्ध के बाद ज़िन्दगी
कुछ चीज़ें कभी नहीं बदलतीं
बग़ीचे की झाड़ियाँ
हिलाती हैं अपनी दाढ़ियाँ
बहस करते दार्शनिकों की तरह
जबकि पैशन फ़्रूट की नारंगी
मुठ्ठियाँ जा...
जयशंकर प्रसाद के जीवन पर केंद्रित उपन्यास 'कंथा' का साहित्यिक-जगत में व्यापक स्वागत हुआ है। लेखक श्यामबिहारी श्यामल से उपन्यास की रचना-प्रकिया, प्रसाद जी...