आ तारीख़ गले लगा लूँ
धड़कन की तड़पन समझा दूँ
प्यार का पारा बारह पर है
दो डिग्री और पार करा दूँ
प्रेम विनय व प्रणय प्रतिज्ञा
वचन कथन सब सफल करा दूँ
गुलाब चाकलेट और टैडी से
उसके घर फिर भेट करा दूँ
कल अधरों का संगम है
कंचन तन चंदन महका दूँ
फिर बस प्रेम दिवस है बाकी
आ हैप्पी वैलेंटाइन करा दूँ
आ तारीख़ गले लगा लूँ
धड़कन की तड़पन समझा दूँ
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© मनोज मीक