फूल-सी बेटियाँ को
इस तरह कुचला जाता है
दहलीज़ पर जरा भी चरमराहट नहीं होती

पुरुषों ने सुन्दरता को
इस तरह रौंदा
जैसे आग के इतिहास में
जला हुआ हिरोशिमा

वह जलने के स्वभाव से बहुत पहले परिचित थी
इसलिए चूल्हे की आग में
पकाती आयी है भोजन को,
भट्टी की राख से माँज-माँजकर
चमकाती आयी है दुनिया को,
आग का सबसे सुन्दर इस्तेमाल
औरतों ने किया है!

यह भी पढ़ें:

कैलाश गौतम की कविता ‘सिर पर आग’
अनुराधा अनन्या की कविता ‘तुम में भी आग दहकती है जीवन की’

Previous articleकान्तार हुए दुर्गम
Next articleमाँ तुम क्या हो

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here